उन्मनी वाङमय

अनाहत चक्र

अनाहत चक्र:

१) मूळ श्लोक: द्वादशारं नहाचक्रं ह्र्दये चाप्यनाहतम - योगशिखा ५-८

२) पर्यायी नावे: ह्र्त्कमल

३) मात्रा: म

४) देह: कारण

५) अवस्था: सुषुप्ति

६) अभिमान: प्राज्ञ

७) भोग: आनंद

८) गुण: तम

९) शक्ती: गौरी-इच्छा

१०) तत्व:

११) वेद: सामवेद

१२) अग्नि: दक्षिणाग्नि

१३) ऋषी: ईश्वर

१४) अष्टांग: बिंदु

१५) उपवायू: देवदत्त

१६) मुद्रा: ऎं-विस्तृत

१७) स्थान: ह्र्दय

१८) अवयवांवर ताबा: छाती

१९) दले: १२

२०) वर्ण: कं,खं,गं,घं,ङ,चं,छं,जं,झं,ञ,टं,ठं

२१) दलातील शक्ती: पद्मनी, संदर्भा, रतिप्रिया, वैजयंती, सौभद्रा, अत्रिमाया, कुहवासिनी, घोकिनी,रेखा, श्रीया, तरंगिणी, तारा

२२) आनंद: त्रैलोक्य, वित्कर, प्राण, स्वपद, अंशप्रकाश, अनुताप, कपद, चित्तसम्मत, विकल्प, महद, विवेक, अहंकॄत

२३) देवतेचे अधिष्ठान: महेश

२४) वार: शुक्रवार

२५) मोक्षपुरी: मथुरा

२६) वायू: प्राण

२७) वाचा: पश्यंती

२८) चक्र जागृत झाल्यावर: धवल

२९) अनुभव:

३०) मुक्ती: सरूपता

आमचा पत्ता

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