प्रकाशित साहित्य

पान १०९/३४

 

तृषितात्म हा मी का? अशी जवळी नदी

भोवती ही गर्दी, एकला मी!

सखी ही शेजारी, भेटता का न ये

जीव का न आहे, शरीरी या

 

 

’स्मृती’ च्या सौख्याने, संतोष ही अधिक

’प्रत्यक्षता’ धाक, दावि काही

मनोमयी मूर्ती, कशी केव्हा वंदा

जीवहा सर्वदा, असे स्वस्थ

ऊन प्रत्यक्षाचे, जाळिते नेत्रांना

स्मरण-सावलीला, भुले जीव

आमचा पत्ता

Dr. Samprasad and Dr. Mrs. Rujuta Vinod Shanti-Mandir, 2100, Sadashiv Peth, Vijayanagar Col. Behind S. P. college Pune - 411030 

दूरध्वनी क्रमांक

+91-20-24338120

+91-20-24330661

+91 90227 10632

Copyright 2022. Maharshi Nyaya-Ratna Vinod by Web Wide It

Search