उन्मनी वाङमय

३ मे १९३९

३ मे:

एकूण श्लोक: १

 

मध्याह्न १२.३५

 

स्वस्ति श्यामे! स्वस्ति त्रिभंग ललिते!।

नियत प्रकाशे! स्वयंसिद्धे! अतिश्रुते!।

संख्याने! अवस्थाप्रतीके! परांज्योति संवित्ते।

स्वान्ने! स्वान्नादे! स्वाहाकार लक्ष्ये!।।।।१।।

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