उन्मनी वाङमय

९ डिसेंबर १९३८

९ डिसेंबर: 

एकूण श्लोक: १४

 

संध्याकाळी ०४.५५

 

गिरनारचा मी व्याधराज।

शुक्लाध्यास माझा साज।

विशुद्ध प्रेम माझें वैराज।

स्वाराज्य माझें निरवस्थचिति  ।। ।।१।।

 

भेदीत अवस्थांचे बुद्बुद।

व्यक्तवीत महाजीवनौघ अगाध।

मूर्तवीत संवित् तत्त्वाचे पडसाद।

चाललो मी मनोविज्ञ   ।। ।।२।।

 

संध्याकाळी ०५.०९

 

अश्वत्थ निष्कुहांत सुप्त्लेले।

ज्ञानवैभवें संतप्त्लेले।

प्रत्यगनुभूतींत सन्मुखलेले।

‘वेधदीक्षा’ त्यांचे साठीं  ।। ।।३।।

 

संध्याकाळी ०५.१५

 

सफलिता यदि कर्मविचिकित्सा।

संपूर्णा यदि वृत्तविचिकित्सा।

प्रफुल्लिता यदि तत्त्वविचिकित्सा।

‘वेधदीक्षा’ तदुत्तरस्था ॥    ।।४।।

 

संध्याकाळी ०५.२०

 

यथा पुष्कर पलाश आपोनश्लिष्यंत।

एवं एवंविदि पापंकर्म न लिप्यते।

यदा बुद्धिश्च न विचेष्टति।

तदास्था वेधदिक्षा  ।।        ।।५।।

 

संकर्मसंस्थेचें स्वयं उपकरण।

संकल्प विद्येचें गर्भ-विधान।

संश्रवण अवस्थेचें असीम वितान।

वेध दीक्षेचा पूर्वन्यास  ।।    ।।६।।

 

येथले अधिकारी ऊध्वदर्शी।

येथले कर्मकार सूक्ष्मविमर्शी।

येथले भाविक अंतरंगस्पर्शी।

अल्पवाक् स्वात्मरति     ।।  ।।७।।

 

संध्याकाळी ०५.३५

 

स्थिरपाद त्यांची वृत्तिभूमी।

समाधगुहींचे ते अंत:संयमी।

आत्मौपम्यदृशा मानव्यधामी।

सहजप्रेमी ते समुन्मेषती!  ।।    ।।८।।

 

संस्कृति जी कुशलनामा।

भाव जो बृहद्-भूमा।

वासना जी उपादान संगमा।

वेधदीक्षेचे पूर्वन्यास     ।। ।।९।।

 

‘सत्य’श्रेणीची पाऊका अंतिम।

ऋतश्रीची व्याकृती प्रथम।

‘सर्वस्वल्विदं’ ची केंद्रमध्यमा।

वेददीक्षेची पूर्व शुद्धी  ।।    ।।१०।।

 

पौरूषेण प्रयत्नेन योजिता या शुभे पथि।

अशुभेषु समाविष्टा शुभेषु पुनरुदधृता।

वासना या कुशलामूर्ति:।

वेधदीक्षया स्पृश्या सा   ।।    ।।११।।

 

संध्याकाळी ०५.५२

 

वेध्यविश्वाचा अधिवेत्ता।

जेथ सहसमुत्कर्षे भावस्फुरत्ता।

प्रकटगूजली जेथ श्रीमहाअवस्था।

निरवस्थभानाची!।।      ।।१२।।

 

संध्याकाळी ०६.००

 

वेधदीक्षितांचा हा सहजचिद्भाव।

न बुद्धिसंदृशे तिष्ठति रूपमस्य।

न हृदा मनीषा मनसाSभिक्लृप्ते।

ये एतद् विदु: अमृतास्ते भवंति!        ।।१३।।

 

संध्याकाळी ०६.२३

 

वेधदीक्षा चंचूचा आघात।

संश्रवण बिंबाचा प्रथम प्रभात।

प्राकृतिक वासनांचा स्तब्धला कीं संवर्त।

पूर्णैक्य प्रीत प्रकर्षली!        ।।१४।।

संध्याकाळी ०६.२८

आमचा पत्ता

Dr. Samprasad and Dr. Mrs. Rujuta Vinod Shanti-Mandir, 2100, Sadashiv Peth, Vijayanagar Col. Behind S. P. college Pune - 411030 

दूरध्वनी क्रमांक

+91-20-24338120

+91-20-24330661

+91 90227 10632

Copyright 2022. Maharshi Nyaya-Ratna Vinod by Web Wide It

Search