शबलाध्यासीं सन्मुखे व्यतिरेकशास्त्र।
वस्तुवस्तूचें विज्ञान विपर्यस्त।
मिथ्या ज्ञान अतद्रूप प्रतिष्ठ।
विपर्ययरूप शबलाध्यास ।। ।।२१।।
इंद्रिय ग्रामांत आत्मतत्त्व व्यक्ति।
पंचक्लिष्ट वृत्तींत सुस्वरूपावस्थिति।
अल्पअल्पप्रेमांत भोगणें श्रीपराभक्ति।
शुक्लाध्यास हा! ।। ।।२२।।
शुक्लाध्यास हें धूतांचें स्थिरभाव।
विश्वांचें विकारांचे व्युत्क्रमण।
निर्गुणाचें कीं देह दंड धारण।
शुक्लभूमिकेंत या ।। ।।२३।।
शुक्लपक्षांत या प्रत्यहीं पूर्ण पौर्णिमा।
शुक्लदर्पणीं या पूर्ण बिंबे स्वरूपंमा।
शुक्लतीरीं गार्हस्थ्य निवृत्ति उत्तमा।
श्रीलतिका कीं सासिन्नली ।। ।।२५।।
सकाळी ११.५२