उन्मनी वाङमय

१९४५ मधील श्लोक

१९४५:

एकूण श्लोक: २

 

२० ऑगस्ट

 

परमाणुगर्भ: विद्युद्लेशसंस्पृष्ट:।  

विद्युत् स्थूलीभूता चितिवैशिष्ट्य प्रतीकम्। 

विद्युन्मात्रा शक्तिबीजस्य आदिमा आविष्कृति:।

शक्ति: विनियुक्तो कारण स्पंद:।

कार्यकारणता पार्थक्य प्रतीते रधिष्ठानकथा।

 

अंतर्यामिनो अनुभव श्रेणि: पंचमा मात्रा।

 

बिंदूसरित् प्रथमा मात्रा।

सकोणं रेषाद्वयं द्वितीया मात्रा।

कोणबाहुल्यं अधोगामिन्या: रेषाया: तृतीया मात्रा। 

क्षणवैशिष्ट्यात् चतुर्था।

अंत:संधि: अनुसंधि: परासंधि:

वार्तिकप्रतीतीनाम् प्रतीकप्रतीतीनाम् 

पंचमा मात्रा। 

 

संध्याकाळी ०८.१५

 

अंत:संधिस्तु आकर्षणयोनि:

कृष्णकर्म भूमि र्वा। 

अनुसंधि: विकर्षणयोनि:

शुक्लकर्म भूमि र्वा 

परासंघि: संकर्षणयोनि:

अशुक्ल-अकृष्ण कर्मभूमि र्वा। 

संसंधि: वियदवधूत कर्मविशेष:। 

आमचा पत्ता

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